सफर ठगे जाने के बाद शुरू होता है
अपने से
पराये से
किसी पराये अपने से
अपने से
पराये से
किसी पराये अपने से
बीचों बीच रौशनी के बुझने
सुरंग के लंबे खिंच जाने
मायूसी की लंबी लकीर के बीच
ठगे जाने के मुहावरे हमेशा पुराने होते हैं
लेकिन ठगा गया इंसान नया
और उससे निकला सबक भी
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