परी- यही नाम है उसका
बस एक झलक पाते ही मन में बारिश की फुहार हो जाती है।

परी कुछ नहीं मांगती
हमारी तरह मांग के कटोरे लेकर फिरना शायद उसकी फितरत ही नहीं।

परी पिंजरे के निचले हिस्से में सोती है
राजा ऊपरी हिस्से में झूले पर

राजा सोकर उठता है
परी को हौले अपने पांव से ठोकर देता है, उसे जगाता है
जतलाता है कि ये मर्दाना अधिकार की बात तो वह भी जानता है !

लेकिन परी और राजा जब गाड़ी की अगली सीट पर बैठते हैं
तो अठखेलियां खाते पिंजरे में डर जाते हैं
एक ही झूले पर बैठकर लग जाते हैं- एक- दूसरे के गले
संकट में साथ के मायने दोनों जानते हैं।

लेकिन ताज्जुब
घर में दिनभर अकेले अपने पिंजरे में बंद दोनों जाने क्या सोचते हैं!

मैनें उनके पिंजरे के नीचे नरम घास का बिछौना बना दिया है
उन्हें यह मखमली कुदरती बिछौना बहुत पसंद भी आया है

परी मेरी बेटी नहीं है
राजा दामाद नहीं है
लेकिन मैनें मन ही में करा दी है उनकी शादी।
अकेले नहीं रखना चाहती थी मैं परी को
जानती हूं अकेली को निगल लेती है दुनिया।

दोनों इंसान नहीं हैं
लेकिन फिर भी हैं तो दो फुदकते जीव
दोनों तो बस आंखों की पलकों में बस गए हैं।

आप चाहें तो उन्हें तोता कह सकते हैं
आपकी आंखों को वे तोते ही दिखेंगें
लेकिन मेरे लिए तो वो मेरे सपनों का उड़नखटोला हैं
मेरे अपने पंख हैं
उनके पास मेरी बात सुनने का वक्त है
और मन भी!

मेरे लिए वो एक परी है
और पिंजरे के ऊपरी झूले में बैठकर अपनी चोंच से परी को सहलाने वाला एक राजा।

नहीं – मुझे अभी उन्हें आकाश में नहीं छोड़ना।
ये मेरे कमरे में ही फुदकेंगें
मेरे आंगन में चहकेंगें
कैसे छोड़ दूं दो महीने के इन जीवों को बाहर की दुनिया में
हम करेंगे आपस में बातें
पिंजरे के अंदर के जीव और पिंजरे के बाहर के इंसान की

मैं जानती हूं ये मेरे स्कूल के पहले टीचर हैं और
अभी तो हमारा सफर शुरू ही हुआ है।

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3 Responses

  1. जी, बिल्कुल!! अभी तो सफर की शुरुवात ही है. बहुत सुहाना गुजरेगा आपके संवेदनशील हृदय के साथ परी और राजा का सफर.

    अर्थ गहरे हैं और भाव सुन्दर, बधाई.

  2. जानती हूं अकेली को निगल लेती है दुनिया।
    सही कहा, दुनिया में रहने की शर्तें हैं और न निभाने वाले को निगला ही जाएगा आज नहीं तो कल।

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