चिड़िया की खुशी का विस्तार
उसके आकार से होता है कहीं ज्यादा
लाल बत्ती होने के सेकेंड भर पहले
पार कर ली सड़क
खुश हो लिए
पानी जाने से पहले बचा लिया बालटी में
भोर तक के लिए पानी
सेल खत्म होने के ठीक पहले
खरीद ली
हमेशा मांगती ननद के लिए साड़ी
बेटे के लिए चमकती नकली कार
सिलेंडर खत्म होने से ठीक पहले बना लिया खाना
जोड़ ली ताकत रात में फिर से पति से पिटने के लिए
चिड़िया इसी बचत में पूरी उम्र गुजार जाती है
चिडिया कब जानती है
भेड़िया तो यही चाहता है
चिड़िया की चाहतों का संसार
उसकी फुदकन जितना ही हो
लेकिन जरूरी नहीं
कि भेड़िया भी हमेशा सही ही हो
5 Responses
ek badhiya rachna……satya ke kareeeb!!
aapki kavita achhi lagi vartika ji…
वर्तिका जी आप अपनी कविता में इतना चौंकाती क्यों हैं। बहरहाल कविता बहुत कुछ कहती है।
कि हमेशा भेड़िया सही ही हो…..
thik….
बहुत सुन्दर और संवेदनशील रचना है, बेहतरीन! देर से आने के लिए माफ़ी