लो मर गई मरजानी तब भी चैन नहीं देह से झांक कर देख रही है तमाशा […]
नहीं सुनी बाहर की आवाज अंदर शोर काफी था इतना बड़ा संसार हरे पेड़, सूखे सागर […]
                       जब से दंतेवाड़ा की घटना से सब सहमे हुए हैं,देश का सूचना और प्रसारण […]
बचपन में बत्ती चले जाने में भी गजब का सुख था हम चारपाई पे बैठे तारे […]
बस अब रंगों जैसा ही हो जाना है घुल जाना है पानी जैसे बह जाना है […]
क्या शाहरूख खान और बाल ठाकरे हमारी सांसे हैं जिनके बिना जीया नहीं जा सकता। आपका […]
अभी भी मन करता है घूम आऊं किताबों के मेले में पलटूं एक-एक पन्ना और घर […]
अंग्रेजी के एक अखबार के पत्रकार ने जब अपने यहां छपने वाली किसी स्टोरी विशेष की […]
एक हंसी भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरू की थी। फांसी पर हंसते-हंसते झूल गए। एक हंसी राठौर की है। […]
रसोई में रोज पकते रहें पकवान नियत समय पर टिक जाएं मेज पर इसकी मशक्कत में […]