कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जेल के कैदियों के काम की सराहना करते हुए देश की जेल सुधारक वर्तिका नन्दा ने जेल के बंदियों और जेल स्टाफ के वीडियो शेयर किए.
कोरोना के चलते जब पूरा देश लॉकडाउन में है, देश की जेलें अपना योगदान दे रही हैं. मास्क, सेनिटाइजर, किट से लेकर आसोलेशन वार्ड तक बनाने में जेलों के कैदी जुटे हैं. उनके इस योगदान की सराहना करते हुए देश की जेल सुधारक वर्तिका नन्दा ने जेल के बंदियों और जेल स्टाफ के वीडियो से एक सौगात भेजी है. इसका नाम है- जेल के नाम चिट्ठी. करीब ढाई मिनट के इस वीडियो में बंदियों और स्टाफ का मनोबल बढाया गया है और उन्हें राष्ट्र-निर्माण से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया गया है.
वीडियो में इस बात पर खास तौर से जोर दिया गया है कि लॉक डाउन की वजह से पहली बार लोगों को जेल जैसी जिंदगी का अहसास हुआ है जबकि जेल की परिस्थितियां इससे कहीं ज्यादा विकट हैं. वीडियो में कहा गया है कि – इस समय आप और बाहर के लोगों में कोई ज्यादा फर्क नहीं है. ऐसा पहली बार हुआ है जब बाहर के कई लोग खुद को जेल के बंदी जैसा ही महसूस करने लगे हैं. इससे यह उम्मीद भी की जा सकती है कि उन्हें आपकी तकलीफ का अंदाजा होगा.
देश की 1,339 जेलों में करीब 4,66,084 कैदी बंद हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, देश की जेलों में औसतन क्षमता से 117.6 फीसदी ज्यादा बंदी हैं. उत्तर प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों में यह दर क्रमश: 176.5 फीसदी और 157.3 फीसदी है. यानी भारतीय जेलें अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा भीड़ से लबालब हैं. कोरोना के संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट को एक बार फिर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस समस्या की याद दिलानी पड़ी है. यही वजह है कि पिछले दो हफ्तों में देश की जेलों से बड़ी संख्या में रिहाई हुई है.
लेकिन संकट के इस दौर में तिहाड़ से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और केरल समेत कई राज्यों ने बाहर की दुनिया को कोरोना से बचाने के लिए सराहनीय काम किया है. य़ह वीडियो जेल के इन्हीं मददगार बंदियों के नाम है.
जेल के नाम चिट्ठी
बीते कई दिन उन सभी के लिए बहुत मुश्किल के थे जिन्होंने न जेल देखी, न समझी. कोरोना के इस लॉकडाउन के चलते बहुत से लोगों ने अपनी जिंदगी की तुलना तक जेल से कर डाली है. लेकिन इस सच को सिर्फ आप जानते हैं. कोरोना ने यह सबक भी दिया है कि जिंदगी को जानने के लिए बहत दूर तक जाने की जरूरत नहीं है. जिंदगी के बड़े सच हमारे अपने दायरे में ही हैं. दुमिया का एक बड़ा हिस्सा अब बंदिशों की जेल में है. बाहर जाना, घूमना, मिलना, सब बंद है. इन बंदिशों के बीच समाज के बहुत से लोगों को अब जब जेल से तुलना करने का ख्याल आया है, आपको इस बात को नहीं भूलना है कि आप जिन भी परिस्थितियों में यहां पर आएं हों, आपको अपने समय का सम्मान करना ही होगा. महात्मा गांधी से लेकर अरबिंदो तक- कई बड़े चिंतक इन्हीं जेलों से निखऱ कर बाहर आए और उन्होंने पूरी दुनिया में बदलाव की अलख जगा दी. आपको भी अपने अंदर की अलख को जगाना है.
इस समय आप और बाहर के लोगों में कोई ज्यादा फर्क नहीं है. ऐसा पहली बार हुआ है जब बाहर के कई लोग खुद को जेल के बंदी जैसा ही महसूस करने लगे हैं. इससे यह उम्मीद भी की जा सकती है कि उन्हें आपकी तकलीफ का अंदाजा होगा. बाकी जेलों की तरह आपकी जेल से भी कोरोना के चलते कई बंदी रिहा किए गए हैं. आप भी कभी न कभी रिहा होंगे. प्रशासन आपकी देखभाल की कोशिश कर रहा है लेकिन इस बीच आपको इस बात को बार-बार जहन में रखना है कि आप जेल के किसी भी दिन को ज़ाया नहीं करेंगे. आप कुछ सीखेंगे, सृजन करेंगे.
इस साल तिनका तिनका अवार्ड में एक श्रेणी उन बंदियों के नाम भी रहेगी जिन्होंने संकट के इस समय में राष्ट्र-निर्माण में अपना योगदान दिया है. आप भी इसका हिस्सा बनिए. संभव हो तो इस दौर पर आप जो भी अखबारों में पढ़ रहे हैं य टीवी पर देख रहे हैं, उस पर एक डायरी लिख दीजिए या फिर कोई पेंटिंग बनाइए या दीवारों को किसी उम्मीद से रौशन कर दीजिए. यह आप पर है कि आप अपने अंदर के कलाकार को कैसे जिंदा रखते हैं. बस, जो भी कीजिए, उसमें आपकी भी बेहतरी हो और समाज की भी.
डॉ. वर्तिका नन्दा जेल सुधारक और तिनका तिनका अभियान की संस्थापक हैं जिसका मकसद जेलों को आपस में जोड़ना और बंदियों की प्रतिभा को सामने लाते हुए जेल सुधार पर काम करना है. उनके बनाए तिनका तिनका मॉडल के तहत 2019 में ‘‘आगरा जेल रेडियो’’ की शुरुआत की गई थी जो कि कोरोना के समय बंदियों का सबसे बड़ा सहारा बन गया है. मुलाकातें बंद होने की वजह से जेल का रेडियो बंदियों के संवाद की जरूरतें पूरी कर रहा है. इस रेडियो स्टेशन का उद्घाटन जुलाई 2019 में आगरा जिला जेल के अधीक्षक शशिकांत मिश्रा और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार ने किया था. डॉ. नन्दा के मताबिक यह प्रयास जेलों की स्थिति पर हो रहे उनके एक विशेष शोध का भी एक हिस्सा हैं.
https://hindi.news18.com/news/nation/opinion-prison-inmates-doing-work-for-fight-coronavirus-2996704.html
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