हर साल देश की किसी न किसी जेल में आयोजित इस पुरस्कार समारोह का यह पांचवां साल है।
भारत की जानी-मानी जेल सुधारक वर्तिका नन्दा ने ‘तिनका तिनका अवार्ड्स’ की परिकल्पना की है। 2018 में यह समारोह जयपुर की केंद्रीय जेल और 2017 में तिहाड़ जेल, दिल्ली में हुआ था। पुरस्कारों को यूपी पुलिस महानिदेशक कारागार आनंद कुमार, पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह और तिनका तिनका की संस्थापक वर्तिका नंदा देंगी।
इस साल तीन श्रेणियां
‘तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स’ में इस साल तीन श्रेणियां हैं। इनमें पेंटिंग, विशेष प्रतिभा और जेल प्रशासकों के लिए पुरस्कार दिए जाएंगे। इस साल पेंटिंग की थीम है-जेल में रेडियो। यह विषय जेल सुधार से जुड़ा है। इस प्रक्रिया में तिनका तिनका ने आगरा जिला जेल में रेडियो की शुरुआत भी की है। इस साल पेंटिंग श्रेणी में बंदियों के कुल 144 नामांकन आए हैं। सबसे ज्यादा नामांकन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से आए हैं, जहां से 44 कैदियों को पेंटिंग श्रेणी के लिए नामित किया गया है। यूपी से 35 नामांकन आए हैं।
सबसे युवा और उम्रदराज प्रतिभागी
पेंटिंग की श्रेणी में सबसे कम उम्र के बंदियों में उत्तर प्रदेश की बांदा जेल से धीरज कोरी और छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल से सीतला हैं। दोनों की उम्र 18 वर्ष है। इस श्रेणी में सबसे उम्रदराज़ बंदी बिलासपुर जेल से 75 वर्ष की आयु के साथ भेषलाल हैं। चलने में असमर्थ होने के बावजूद भेषलाल ने 2018 में जेल में जिंदगी थीम पर पेंटिंग बनाई थी। इस पेंटिंग को पहला पुरस्कार मिला था। तिनका तिनका के अनुरोध के बाद बिलासपुर जेल के तत्कालीन अधीक्षक एस.एस. तिग्गा ने जेल में एक पेंटिंग स्टूडियो बनवाया, जिसमें कैदियों को उनके रचनात्मक कौशल को अभिव्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
विशेष प्रतिभा श्रेणी में 19 नामांकन
विशेष प्रतिभा श्रेणी में 19 बंदियों के नामांकन आए हैं। यह पुरस्कार उन बंदियों को दिया जाता है, जिन्होंने जेल के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव लाने का प्रयास किया है। इस श्रेणी में सबसे कम उम्र के प्रतिभागी चंडीगढ़ की जेल के 22 वर्षीय राहुल हैं। इसी श्रेणी में चंडीगढ़ की ही जेल से सबसे उम्रदराज बंदी प्रिया स्वामी हैं और उनकी उम्र 64 वर्ष है।
28 जेल कर्मचारियों ने पुरस्कार के लिए आवेदन किया :
इस साल 28 जेल कर्मचारियों ने अपने संबंधित राज्य मुख्यालय के माध्यम से तिनका तिनका पुरस्कारों 2019 के लिए आवेदन किया है। यह श्रेणी उन जेल कर्मियों के योगदान को सम्मान देती है जो ड्यूटी के अपने नियमित काम से आगे जाकर जेल सुधार में अपना योगदान देते हैं।
कैदियों ने बनाए स्मृति चिह्न
इस साल उत्तर प्रदेश की जिला जेल बांदा के 7 बंदियों द्वारा स्मृति चिह्न बनाए गए हैं इनमें शिव प्रसाद, लवकुश, सिकंदर, जानकी, अजय, अमित और अनिल हैं। यह पंखें जेल में डिजाइन किए गए हैं और इनमें एलईडी लाइट लगी हुई हैं। जेल में रेडियो थीम के साथ इस साल लखनऊ की जेल में विशेष प्रकार के पेपर का बैग बनाया गया और इसका स्केच आगरा जिला जेल में बंद 26 वर्षीय उदय स्वरुप ने बनाया है। इस साल निर्णायक मंडल में एनआईसीएफएस के महानिदेशक जावेद अहमद, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के महानिदेशक राम फल यादव और वर्तिका नन्दा हैं।
Source: Amar Ujala
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