Coumnist: Vartika Nanda
May 23, 2018

कानून और व्यवस्था ही नहीं बल्कि जेलों के मामले में भी उत्तर प्रदेश बेदम है. उत्तर प्रदेश की आधी से ज्‍यादा जेलों में अपनी निर्धारित संख्या से 150 प्रतिशत से ज्‍यादा बंदी हैं और राज्य सरकार के पास इससे निपटने का कोई ठोस उपाय दिखाई नहीं देता.

कानून और व्यवस्था ही नहीं बल्कि जेलों के मामले में भी उत्तर प्रदेश बेदम है. उत्तर प्रदेश की आधी से ज्‍यादा जेलों में अपनी निर्धारित संख्या से 150 प्रतिशत से ज्‍यादा बंदी हैं और राज्य सरकार के पास इससे निपटने का कोई ठोस उपाय दिखाई नहीं देता. सुप्रीम कोर्ट में गौरव अग्रवाल की दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह बात सामने उभरकर सामने आई कि देश की ज्यादातर जेलें अतिरिक्‍त बोझ से दबी हुई हैं. यह याचिका देश की 1382 जेलों की अमानवीय परिस्थितियों को लेकर दायर की गई है. अब तक जारी रिपोर्टों के मुताबिक उत्तर प्रदेश और बिहार की जेलों की सबसे खस्ता हालत है. 
इस साल मई के महीने में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में उत्‍तर प्रदेश सरकार ने इन बातों को खासतौर पर रखा है: 
* उत्‍तर प्रदेश के चार जिलों में नई जेलों का निर्माण किया जा रहा है. यह जिले हैं- अंबेडकर नगर, सरस्‍वती संघ, कबीर नगर और इलाहाबाद. इनमें कैदियों को रखने की निर्धारित क्षमता 4723 होगी. लेकिन इस हलफनामे में उत्‍तरप्रदेश सरकार ने कहीं भी यह नहीं लिखा है कि इन जेलों में निर्माण का काम किस स्‍तर तक पहुंच चुका है और यह निर्माण कब पूरा होगा.
* उत्‍तर प्रदेश सरकार अपनी मौजूदा जेलों में 59 नई बैरक बनाने का काम भी कर रही है जिससे 1780 बंदियों के लिए अतिरिक्‍त जगह बन सकेगी. लेकिन यहां पर भी उत्‍तरप्रदेश सरकार ने किसी भी समय-सीमा का उल्‍लेख नहीं किया है.
* राज्‍य सरकार ने कहा है कि ललितपुर जिले की जेलों में बंदियों को रखने की 4500 की क्षमता है लेकिन अब नए निर्माण के तहत इसकी क्षमता 16,500 बंदियों तक बढ़ाई जा सकेगी. इसके लिए नई जेलों के लिए जमीन की या तो पहचान कर ली गई है या फिर उन्हें खरीदा जा चुका है.
कोर्ट में यह बात कही गई कि उत्‍तरप्रदेश सरकार ने जो जवाब सौंपा है, उससे राज्‍य सरकार की अ-गंभीरता साफ तौर पर दिखाई देती है. अपने किसी भी जवाब में उत्‍तरप्रदेश सरकार ने समय- सीमा का कोई उल्‍लेख नहीं किया है. इससे पहले जेलों में कैदियों की हालत का खुलासा 2017 में आगरा के आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस की उस रिपोर्ट से हुआ था जिसमें उत्तर प्रदेश की प्रदेश से कैदियों की मौत की मांगी गई रिपोर्ट में हुआ था. इस रिपोर्ट के मुताबिक़ वर्ष 2012 से जुलाई 2017 तक पूरे प्रदेश में जेल में बंद कैदियों की मौत 2 हजार से अधिक है जिनमें एक महिला कैदी भी शामिल है. इन मृतकों में 50 फीसद विचाराधीन बंदी थे. इनकी उम्र 25 से 45 साल के बीच थी. सबसे ज्यादा मौतें क्षय रोग और सांस की बीमारी के चलते होना बताई गई थी. पूरे उत्तर प्रदेश में 62 जिला जेल, पांच सेंट्रल जेल और तीन विशेष कारागार हैं.
इसी तरह बिहार की कम से कम 14 जेलें भीड़ की समस्‍या का सामना कर रही हैं. इनमें पटना की मॉडल सेंट्रल जेल से लेकर पूर्णिया, बेतिया, सीतामणि, कटियार, भागलपुर, माटीपुरा, छपरा, किशनगढ़, औरंगाबाद, गोपालगंज, जमोई और झांझरपुर तक की उप-जेलें शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दायर जबाव में बिहार की तरफ से यह जबाव आया कि कुछ नई जेलों का निर्माण किया जा रहा है. लेकिन यह बात साफ नहीं की गई कि यह काम कब तक पूरा होगा और इस काम के लिए अतिरिक्‍त स्‍टाफ का चयन कब तक होगा.
यह बात जाहिर है कि राज्य सरकारों के लिए जेलें कहीं प्राथमिकता की सूची में नहीं आतीं. देश की सर्वोच्च अदालत के दखल के बावजूद जिन राज्यों में जेल सुधार को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखती, उनमें उत्तर प्रदेश और बिहार की जेलें अव्वल हैं. लेकिन जेलों की परवाह करने की फुरसत भला किसके पास है?

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3 Responses

  1. Jails have a lot to improve and people and society have to do a lot for them. TINKA tinka movement is one of it's kind of unique movements working towards prisoner reforms. It is so amazing that their work is highlighting the problems of jails. #Vartikananda #prisoners #human_rights #humanity #change #tinkatinka

  2. Whenever we are forced to stay in a room filled with people we feel miserable. What would be the condition of the prisoners who are forced to stay in a crowded prison cell for years? It is sad news that the condition of many prisons in India is very bad. The authorities have taken some measures to solve this issue but the measures are not enough. Like Vartika Mam mentioned in the article, even though there are orders for construction of jails, it is not mentioned when it will be finished. Giving such a deadline is necessary because otherwise there will be a tendency to procrastinate. The basic function of prisons is to reform people. But if this is the condition of prisons, then how can prisons be reformed. #tinkatinka #prisonreforms #humanrights

  3. The Supreme Court has reiterated that inmates can't be made to live in overcrowded prisons. They still have basic rights. But implementation of law is never simultaneous as its making. #vartikananda #tinkatinka #jail #prison

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