One response

  1. नमस्कार, तिनका तिनका के लिये आपका ये कदम सराहनीय है।मैं रझिया मिर्झा, वडोदरा मध्यस्थ जेल में डीस्पेंसरी में फार्मासीस्स्ट की पोस्ट पर कार्यरत हुं।चूंकी मैं "बंदिवान" बहनो के साथ काम करती हुं , मैंने उनहें समर्पित एक नवलिका लिखी है " दिवारों के भी दिल होता है" अभी प्रकाशित होना बाकी है।
    हर वर्ष 8 मार्च आंतरराष्ट्रिय महिला दिवस के अवसर पर् हम खुब कार्यक्रम करते हैं। जैसे "साक्षरता नाटक", गरबा, न्रुत्यनाटिका, कल्चरल कार्यक्रम, विविध स्पर्धाएं, आदि….
    हालांकि मेरा प्रोफेशन आरोग्य से जुडा हुआ है ,पर मुझे अपना समय बंदिवानो साथ व्यतित करना है तो मैं उन्हें व्यस्त रखने के उपाय ढुंढती रहती हुं। मुझे भी आनंद आता है अपना समय सही व्यतित करनेको।
    मैंने उनके जीवन पर काफ़ि लिखा है। और मैं चाहुंगी कि आप के करकमलों से मेरी पुस्तक का विमोचन किया जाए।
    आभार…रझिया मिर्झा.
    raziakbar2429@yahoo.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *