किताब में पढ़ लिया
और तुमने मान भी लिया
कि मीडिया सच का आईना है !
और तुमने मान भी लिया
कि मीडिया सच का आईना है !
तुमने जिल्द पर शायद देखा नहीं
वो किताब तो पिछली सदी में लिखी गई थी
तब से अब तक में ‘सच’ न जाने कितनी पलटियां ले चुका
और तुम अभी भी यही मान रही हो
कि मीडिया सच को दिखाता है !
सुनो
नई परिभाषा ये है कि
मीडिया सच पर नहीं
टीआरपी पर टिका है
पर एक सच और है
मीडिया मजबूर है
और जो खुद मजबूर है
वो तुम्हें रास्ता क्या-कैसे दिखाए
हां, तुम ठीक कहती हो
हम-तुम दोनों मिलकर एक नए मीडिया की तलाश करते हैं
बोलो, मंगल पर चलें या प्लूटो पर
अब यह तो तुम ही तय करो
लेकिन सुनो
वक्त गुजारने के लिए
ये सपना अच्छा है न!
4 Responses
अद्भुत है…दिव्य है…अगले पोस्ट का इंतजार रहेगा।
सुशांत
http://www.amrapaali.blogspot.com
मेरे ख्याल में अंग्रेजी मीडिया टीआरपी की भागदौड़ में भी अपना स्तर बनाये हुए है….बाकी हिंदी मीडिया का तो भगवान ही मालिक है
ठीक कहना है आपका
नए मीडिया की तलाश में
मंगल या प्लूटो पर ही जाना पड़ेगा..
kavita likh kar logon ki daad pana asan hai.Halanki mai samajhta hoon ki apka maqsad yah nahi hoga. kya apko nahi lagta, kavita likhna is waqt dunia me sabse garjaroori kam hai. kuchh nahi badalta inse. yahi sachchai hai aur yahi hamare jaise aam logo aur aap jaise kaviyon ka durbhagya…
brijes