एकला कोई नहीं चलतासाथ चलते हैं अपने हिस्से के पत्थरकिसी और के दिए पठारनमक के टीलेजिम्मेदारी […]
कल जब तुम इस अंगने में लौट के आना, तुम हमें न पाना – आत्महत्या करने […]
आंसू बहुत से थेकुछ आंखों से बाहरकुछ पलकों के छोर पर चिपकेऔर कुछ दिल में ही […]
क्या सचमुच फेसबुक ने लोगों को जोड़ा है   प्रिय फेसबुक,   बुरा न मानना। अब […]
24 सितंबर, 2011 को दैनिक भास्कर में छपी मरजानी की समीक्षा 
कुछ शहर कभी नहीं सोतेजैसे कुछ जिंदगियां कभी सोती नहींजैसे सड़कें जागती हैं तमाम ऊंघती हुई […]
21वीं सदी की 111 हिंदी लेखिकाएं – संडे इंडियन का ताजा अंक – आभार सहित http://thesundayindian.com/hi/story/women-writers-in-delhi/7337/
अन्ना की आंधी और जन की भागेदारी पर एक लेख http://epaper.bhaskar.com/cph/epapermain.aspx?edcode=194&eddate=8/18/2011&querypage=7
(9 अगस्त, 2011 को दैनिक भास्कर में प्रकाशित)
एक नई दुनिया बन कर तैयार हो रही है। यह दुनिया एक दूसरे से मिले बिना […]