द संडे इंडियन (पत्रिका)
आज तक के संस्थापक रहे सुरेंद्र प्रताप सिंह खबरों के क्षेत्र में क्रांति लेकर आए. दूरदर्शन पर आने वाला सिंह का कार्यक्रम ‘आज तक‘ ने खबरों के संसार में कई मानक स्थापित किए. सिंह के साथ काम कर चुकी जी न्यूज की एंकर अल्का सक्सेना के मुताबिक आज बाजार बेशक हावी हो पर ये कहकर पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता कि हम वहीं दिखा रहे हैं जो कि पाठक देखना चाहते हैं. आज बाजार के इस दौर में जितनी गुंजाइश है उसमें बेहतर करने की कोशिश की जानी चाहिए. अल्का ये बातें मीडियाखबर डॉट कॉम एवं सेंटर फॉर सिविल इनिशिएटीव की पहल पर नोएडा के मारवाह स्टूडियों में आयोजित एस.पी. सिंह स्मृति समारोह 2012 के दौरान बोल रही थी.
कार्यक्रम में ‘एस. पी. सिंह के बाद टेलीविजन’ विषय पर आईबीएन सेवन के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष का कहना था कि पिछले दो ढ़ाई सालों में देखे तो टेलीविजन ने अभूतपूर्व काम किया है और आज एस. पी. होते तो जरुर इसकी सराहना करते. सिंह के साथ काम कर चुके आज तक के पूर्व प्रमुख कमर वहीद नकवी ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि पहले का दर्शक खबरों को सिर्फ रिसीव करता था, पर अब ऐसा नहीं है आज के दर्शक का पत्रकारिता में दखल बढ़ गया है.
इससे पहले सत्र में ‘इंटरनेट सेंसरशिप और आनलाइन मीडिया का भविष्य’ विषय पर वेब दुनिया के संपादक जयदीप कार्णिक ने कहा कि ऑनलाइन मीडिया ने व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को प्लेटफॉर्म दिया है. इंटरनेट पर सेंसरशिप के सवाल पर कार्णिक का कहना था कि ‘बांध नदियों पर बनते हैं, समुद्र पर नही’. आज इंटरनेट एक समुद्र की तरह हो गया है जिस पर किसी प्रकार का सेंसरशिप लगाना अतार्किक और अव्यवहारिक है.
दिल्ली यूनिवर्सटी के लेडी श्रीराम कॉलेज की विभागाध्यक्ष डॉ वर्तिका नंदा का इंटरनेट पर सेंसरशिप के बारे में कहना था कि अगर सेंसरशिप का मतलब गला घोटना है तो मैं इसका समर्थन नहीं करती, अगर इसका मतलब एक लक्ष्मण रेखा है जो बताता है कि हर चीज की एक सीमा होती है तो ये गलत नहीं है.
कार्यक्रम में, इसके अलावा दीपक चौरसिया, पुण्य प्रसून वाजपेयी, राहुल देव, मुकेश कुमार, राणा यशवंत जैसी मीडिया हस्तियों ने शिरकत की.
बाहरी लिंक- http://www.thesundayindian.com/hi/story/20-minutes-product-was-a-revolution-in-news/11/16890/
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