कोरोना और जेल डायरी | | | सरोकार: केरल की हथिनी के नाम



इंसान पर यकीन की कीमत उसकी अपनी जान थी
और उसकी भी जो इंसानों से अनजान थी
आप कहते हैं अपराधी की जगह जेल होती है
लेकिन कई बार खुद जेल भी शर्मसार होती है
जेल की अपनी सीमा है/ अपराध की भी कोई सरहद होती होगी
जेल की सींखचें इन हदों के पार होने पर कसमकसाती हैं
दुखों को सोखने की बर्दाश्त अब पार हो गई है
आप जेल को जेल ही रहने दें
ऐसे अपराधों के लिए किसी नई सजा को खोजिएकुछ नई धाराएं
क्योंकि इन अपराधियों ने कहां पहली बार अपराध किया होगा
किस्तों में हो रहे अपराध छोटी-छोटी परछाईं बने होंगे
और फिर मन का शैतान बड़ा हुआ होगा
कोरोना और काल जिन्हें सबक न दे सका हो
जेलें भी उन्हें क्या समझा सकेंगी, क्या सुधार सकेंगी
जेलें हार गईं हैं
इंतजार कीजिए। अपमान और धोखा लौट कर जरूर आता है
जहां, कानून, नियम और जेलें अशक्त होती हैं
वहां एक शक्ति होती है जो सबसे सशक्त होती है।
         वर्तिका नन्दा


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2 Responses

  1. That mother elephant wasn't wrong she just trusted humans who weren't humans. Doing something for fun was their explanation. People should always think about others what could have happened if it was me. An inhumane act was brought to our notice. We can't change the past but we can still hope to do right in the near future. The inhumanity shown by the people against the elephant has even surpassed the punishment in jail. No amount of forgiveness can change the sin done but there is still hope that times will change Humans have many cognition skills that make us apart from animals. I feel that even animals can do this inhuman behavior. Vartika Nanda has expressed her feelings through her poetry as she has written beautiful poetry books. #tinkatinka #vartikananda #jail

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