(1)

बड़े घर की बहू को कार से उतरते देखा
और फिर देखीं अपनी
पांव की बिवाइयां
फटी जुराब से ढकी हुईं
एक बात तो मिलती थी फिर भी उन दोनों में –
दोनों की आंखों के पोर गीले थे

(2)

फलसफा सिर्फ इतना ही है कि
असीम नफरत
असीम पीड़ा या
असीम प्रेम से निकलती है
गोली, गाली या फिर
कविता

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10 Responses

  1. दोनों ही क्षणिकाएं बहुत अच्छी हैं .–
    एक बात तो मिलती थी फिर भी उन दोनों में –
    दोनों की आंखों के पोर गीले थे
    ———–
    असीम नफरत
    असीम पीड़ा या
    असीम प्रेम से निकलती है
    गोली, गाली या फिर
    कविता
    बहुत सुंदर

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